प्रधानमंत्री जी के चौथे स्तंभ का क्या हुआ ?
भारत : खास खबर
29 दिसम्बर 2024 : प्रधानमंत्री जी पत्रकारों को चौथा स्तंभ बताते हैं, लेकिन क्या सच्चाई यह है ? जब एक पत्रकार जमीन पर काम करता है, तो उसे अपनी मेहनत और सच्चाई से जुड़ी पूरी जानकारी होती है । प्रशासन के पास तो अपने सूत्र होते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों के सूत्र कहीं अधिक मजबूत होते हैं । कभी – कभी ऐसी स्थिति आती है कि प्रशासन को भी उन पत्रकारों की मदद लेनी पड़ती है। लेकिन जब वही पत्रकार भ्रष्टाचार की पोल खोलता है, तो उसे नजरअंदाज किया जाता है । उल्टा उसे डराया – धमकाया जाता है, और सच्चे और ईमानदार पत्रकारों के खिलाफ कार्यवाही की योजना बनाई जाती है । यही कारण है कि या तो ऐसे पत्रकार जेल में बंद हो जाते हैं, या फिर किसी साजिश का शिकार होकर अपनी जान गंवाते हैं ।
शहीदों को सम्मान, पत्रकारों को तिरस्कार !
सरकारी तंत्र में एक ऐसी व्यवस्था बन चुकी है कि अगर सैनिक बॉर्डर पर शहीद होता है तो उसे शहीद का दर्जा मिलता है और नेता की मौत होने पर उसे सम्मान दिया जाता है, लेकिन पत्रकार को, जो सच्चाई को उजागर करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है, किसी सम्मान की कोई उम्मीद नहीं होती । उसकी मौत पर न तो किसी को कोई फर्क पड़ता है और न ही उसके परिवार को कोई मदद मिलती है ।
सच्चाई के लिए संघर्ष, शोषण की सजा !
हम सच्चाई लिख रहे होते हैं, लेकिन हमें झूठ का सामना करना पड़ता है । हम सिर्फ भ्रष्टाचार और उसकी सच्चाई सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसके बदले हमें सजा मिलती है । मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से हम बस यही निवेदन करते हैं कि अच्छे और सच्चे पत्रकारों को नजरअंदाज करने के बजाय, उन्हें सख्त सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए । यदि प्रशासन में कोई भ्रष्ट अधिकारी, नेता या भू माफिया है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए ।
सिस्टम में बदलाव की जरूरत !
अगर इन लोगों द्वारा कोई बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है, तो उसकी वसूली भी इन्हीं से की जानी चाहिए और इन्हें सजा मिलनी चाहिए । इसके लिए अगर केंद्र और राज्य सरकार को कोई नया कानून बनाना पड़े तो वह अवश्य बनाया जाए । कलम के सिपाहियों का साथ दीजिए, क्योंकि तभी हमारा भारत सच्चे मायने में एक स्वच्छ, सुंदर और विकसित भारत बन सकेगा । वरना कागज पर तो तमाम योजनाएं हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है ।
पत्रकारों का शोषण : क्या यही है लोकतंत्र ?
जब कोई पत्रकार सच्चाई को सामने लाने की कोशिश करता है, तो सिर्फ उसका शोषण किया जाता है । यह स्थिति न केवल पत्रकारिता के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि समाज और लोकतंत्र के लिए भी एक गंभीर संकट है । जब कोई पत्रकार सच्चाई को सामने लाने की कोशिश करता है, तो उसे सबसे ज्यादा शोषण का सामना करना पड़ता है ।
स्टेट न्यूज़ हैड उत्तर प्रदेश कृष्ण कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
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